Friday, April 27, 2007

पी टी एस डी: पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर

पी टी एस डी यानी "पोस्ट ट्रोमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर।" हो सकता है कि आपमें से कईयों ने यह शब्द या परिभाषा पहली बार सुनी हो। इसका सीधा सा अर्थ है, किसी ट्रॉमा यानी किसी दर्दनाक हादसे के बाद होने वाला मानसिक दबाव या असंतुलन। वर्जीनिया टेक में हाल में हुई घटना हमारे जैसे कई छात्रों और शिक्षकों के लिए दर्दनाक हादसा है और हम पी टी एस डी के अलग अलग प्रभाव देख हैं।

कोई भी हादसा किसी पर कितना मानसिक दबाव बाना सकता है, ये समय, परिस्थितियों और व्यक्ति के व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। हादसा छोटे समय का हो सकता है जैसे, बम धमाका, कोई दुर्घटना, किसी की मृत्यु, या बलात्कार। हादसा लंबे समय तक चलने वाला भी हो सकता है, जैसे सीमा पर होने वाली रोज कि गोलाबारी, लंबे समय तक चलने वाली प्रतारणा या बलात्कार, या लंबे समय तक चलने वाली बीमारी।

ये कैसे पता लगे कि कोई व्यक्ति पी टी एस डी से जूझ रह है, इस की क्या निशानियाँ हैं, उसे कब, कितनी और कैसे मदद चाहिऐ? इन सब सवालों के जवाब आपको मिलेंगे मेरे रेडियो शो पर जो वर्जीनिया टेक के रेडियो पर प्रसारित होगा। रेडिओ कार्यक्रम की मेहमान होंगी डॉ॰ कीलिंग और जोतिका जगसिया। रेडिओ कार्यक्रम, पूर्वी समयानुसार अप्रैल २८ को १:०० बजे और भारतीय समयानुसार अप्रैल २८ को रात्री १०:३० बजे प्रसारित होगा और उसे इन्टरनेट पर सुनने के लिए यहाँ जाएँ और "Listen Online" पर चटका लगाएं। ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ चटका लगाएं

राग

1 टिप्पणियाँ:

mamta said...

पी.टी.एस.डी.से ग्रस्त व्यक्ति को हम कुछ बातों से पहचान सकते है जैसे बार -बार घटित हुई घटना सपनों मे या यादों मे आना ,बार बार उसी घटना का दिमाग मे आना, कई बार लोग घटीं हुई घटना के बारे मे बात करना और अपनी भावनाओं के बारे मे बात तक नही करना चाहते है, नींद नही आना, या तो बहुत ज्यादा खाना या बिल्कुल भी नही खाना ,और सबसे बड़ी बात उनमे गिल्ट फीलिंग आ जाती है । और अन्य ।


ऐसे व्यक्ति को अपने दोस्तो से,पडोसियों से या अन्य किसी से अपनी फीलिंग्स के बारे मे बात करनी चाहिऐ,अच्छी तरह सोना चाहिऐ,ये याद करना चाहिऐ कि घटना या हादसा होने के पहले आप कितने storng थे और कैसे बड़ी से बड़ी मुश्किल को दूर करते थे(सामना)अपने भगवान पर विश्वास रक्खना चाहिऐ। नए तरीके ढूंढे अपनी भावनाओं को जाहिर करने के जैसे कविता लिखना ,गाने गाना ,नाचना, पेंटिंग करना आदि, मतलब अपना ध्यान कहीँ और लगाना चाहिऐ । योग भी कर सकते है।