कल इस बारे में समाचार देखा कि २०३० तक हिमालय के हिमनद अपने आकार के १/५ ही रह जायेंगे। वैसे इस बारे में पहले भी को चेतावनियाँ आ चुकी हैं मगर यह ताज़ा रिपोर्ट कहती है कि इन हिमनदों के घटने का स्तर बहुत तेजी से बढ़ रहा है और अगर पृथ्वी यूं ही गर्म होती रही तो २०३० तक यह हिमनद बुरी तरह घट जायेंगे। यदि आपको लगता है कि आपको कुछ करना चाहिऐ तो पढिये टाइम का ताज़ा अंक और कुछ प्रेरणा लीजिये। लोगों को और जागरूक बनाइये, कृपण होइये, बिजली बचाइए, मगर कैसे भी करके इस पृथ्वी को बचाइए। |
Monday, April 02, 2007
सन् २०३० के बाद क्या गंगा बचेगी?
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4 टिप्पणियाँ:
ये आवाहन अच्छा है। बिजली बचाने में जुट जाते हैं!
बहुत ही सामायिक लेख है.आज पर्यावरण के प्रति अपने ज़िम्मेदारियों को निभाने का आपातकालीन समय है.हम वैसे भी इसमें काफ़ी देर कर चुके हैं .हर लापरवाही का क्षण हमारी खुद की बर्बादी को और नज़दीक ला रहा है.
चाणक्य ने एक प्रसंग में लिखा है, कलियुग के अंत में गंगा लुप्त हो जाती है। इसको मैं दूसरे तरीके से कहता हूं, गंगा जब लुप्त हो जाएगी तो कलियुग यानी वर्तमान युग समाप्त हो जाएगा। और मुझे वह समय वाकई 2030 के आसपास ही लग रहा है।
गंगा का यह हश्र करने में सरकार और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ-साथ हम सभी भारतवासी दोषी हैं। हम इस लायक नहीं रह गए हैं कि गंगा मैया अब और हमारे बीच बनी रह सके। अरबों रुपये गंगा बचाओ अभियान के नाम पर डकारे जा चुके हैं और गंगा पहले से अधिक मैली हो चुकी है। अब तो उत्तराखंड के आगे गंगा नाम के लिए ही रह जाएगी।
क्या गंगा को बचाने के लिए कोई आखिरी कारगर कोशिश करने के लिए हम तैयार हैं?
टिप्पणियों का धन्यावाद। आशा करता हूँ कि साधारण जन मानस अब इन बड़े मुद्दों को गंभीरता से लेगा।
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