अरे अगर सेक्स का ज्ञान दिया तो बच्चे बिगड़ ना जायेंगे। उनका चरित्र खराब हो जाएगा, शायद वे आपस में ही सेक्स करने लगे।
कई दिन से ये बकवास तर्क देख रहा हूँ जिनके कारण कई राज्यों में यौन शिक्षा देने से मना कर दिया गया है। यौन संबंधों के मामले में हमारा समाज वैसे कितना घुटा हुआ है इस बारे में बहस फिर कभी, लेकिन क्या बच्चों को ये ज्ञान देना ज़रूरी नहीं है कि वे किस लिंग के है, उस लिंग का होने से क्या महत्व है, उनके शरीर के अंगों का क्या कारण है, अपने अंग छूने का अधिकार मात्र उन्हें खुद ही है, और कोई और उनके अंगों को बिना उनकी मर्जी के छू रह है तो वो गलत कर रहा है।
अभी हाल के १७००० बच्चों के सर्वेक्षण में करीब ५०% से ज्यादा बच्चों ने ये कबूल किया कि उनका यौन शोषण कभी ना कभी ना किया गया है। ये यौन शोषण परिवार मैं, किसी उम्र से बडे मित्र द्वारा, किसी बस या ट्रेन में, या किसी आयोजन में होता है। कभी कभी बच्चे ऐसा होने पर संभल जाते हैं, और कभी कभी ऐसे बच्चों के मानसिक संतुलन पर काफी असर पड़ सकता है।
अब समाज के यौन घुटन के बारे में फिर कभी लिखूंगा और जाने सरकार हमें कब अधिकार दे स्कूलों में इसे पढ़ने का लेकिन माँ बाप से ये उम्मीद रहेगी कि वे अपने बच्चों को समय से उचित यौन शिक्षा दें। और ऐसी शिक्षा देने से पहले खुद भी कुछ पढ़ लें। गलत शिक्षा और मूर्खतापूर्ण पूर्वाग्रह और भी खतरनाक होते हैं।
इससे समबन्धित समाचार तो सब जगह है लेकिन आप इस रिपोर्ट को यहाँ भी पढ़ सकते हैं। कड़ी १ कड़ी 2
राग एक संबंधित चिट्ठा |
7 टिप्पणियाँ:
सेक्स राग छेड़िये । बड़ा ही फ्राड समाज है हमारा । इसलिए विरोध कर रहा है । वह चोरी छुपे दिल्ली के पालिका बाजार से ब्लू फिल्में खरीदता है । सड़कों पर बिकने वाली किताबें और सिनेमा हाल में लगी कच्ची कली नुमा फिल्में । सब तो हैं । देखते पढ़ते हैं। बस कोई पढ़ाये नहीं । बकवास ।
रवीश कुमार
कि देश में हर दो में से एक बच्चा यौन उत्पीड़न का शिकार होता है...
मैं इस बात से पूर्णतः असहमत हूं. इस तरीके के सर्वे एक निश्चिच दायरे में गिनती के लोगों के बीच किये जाते है. अब इसकी हकीकत मैं आपको बताता हूं सतना मध्य प्रदेश में हमने भी इसी मसले को लेकर १७० लोगों से बात की जिनमें ३७ लोगों को मैं बहुत ही बेहतर तरीके से जानता हूं. और वे हर जवाब खुल कर देने वालों में हैं इस आधार पर यहां लगभग ४० में से एक यौन उत्पीड़न का शिकार सामने आ रहा है. इस आधार पर मैं यह मानने को कतई तैयार नहीं हूं. रही बात उनके सर्वे की तो यह सब एनजीओ की स्वयं को प्रसिध्य करने का एक तरीका होता है इससे उन्हे नए प्रोजेक्ट मिलते हैं और उनकी कमाई और बढ़ जाती है.
कृप्या अपने आंकड़े सही करें भारत सरकार भी यह मानती है कि ९०% बच्चे यौन शोषण का शिकार है।
रवीश जी हमारे इलाहाबाद में तो हनुमान मंदिर के सामने ये सब मिला करता था।
रमा जी, यदि यौन शोषण मात्र बलात्कार को माने तो आप सही हो सकती हैं, लेकिन भीड़, बस या ट्रेन में कम से कम लड़कों के अंगों के साथ छेड़ छाड़ बहुत ही मामूली बात है। प्रौढ़ या वृद्धों द्वारा अपनें लिंग से जबरदस्ती स्पर्श कराना लगभग सभी लड़कों ने महसूस किया है। खुद के और मित्रों के अनुभव के अनुसार ये ५०% की संख्या मुझे कम लगती है। और ये की कभी किसी तरीके से यौन शोषण हुआ है ये मानना किसी के लिए भी बड़ा मुश्किल है।
विवेक जी समाचार में तो संख्या ५०% ही है।
राग इस विषय पर बात करो तो एक नजर इधर भी मार लेना शायद काम आये
http://www.readers-cafe.net/nc/?p=144
Hi!Raag.I am kamal glad to say hello.
हलो कमल जी। क्या हाल हैं? आपका ब्लॉग कौन सा है?
Post a Comment