Sunday, February 18, 2007

एक शाम उस्ताद शफातुल्लाह खान के साथ

असोसिएशन फॉर इंडियाज़ डेवेलपमेंट (Association for India's Development) के वर्जीनिया टेक विभाग ने ये शाम आयोजित की थी। तबले और सितार की संगति में बिताई ये शाम निश्चित ही एक बेहतरीन अनुभव रही।

सबसे पहले उस्ताद शफातुल्लाह खान ने अपनी फनकारी का नमूना दिखाया तबले पर। ४५० लोगों से भरे हेमार्केट थिएटर में लोग तबले पर थिरकती उँगलियों के जादू से मंत्रमुग्ध थे। फिर आधे घंटे का अंतराल हुआ और हमने चाय और समोसे का मज़ा लिया। अंतराल के बाद उस्ताद ने सितार के बारे में कुछ जानकारी दी और फिर एक घंटे से ऊपर लगातार सितार बजाते रहे। सभी दर्शक पूरे समय बँधे ही रहे। यहाँ तक की लोगों ने उनसे और देर तक बजाने का अनुरोध किया।

खैर हमें वापिस जाना था लेकिन हमने उस्ताद की फनकारी को अपने लिए अपने छोटे से क्रिएटिव ज़ेन में रिकॉर्ड कर ही लिया। एड को एक शानदार शाम दिलाने का शुक्रिया।

अनुराग

Friday, February 16, 2007

भारत पुनर्निर्माण दल के नेताओं से मुलाकात

इस शनिवार को वर्जीनिया टेक के भारतीय कार्यक्रम में मैं आप लोगों की मुलाकात कराऊँगा एक नये राजनैतिक दल "भारत पुनर्निर्माण दल" के नेताओं से। जैसा कि मैंने अपने चिट्ठे में पहले इस दल के बारे में आप लोगों को बताया था, ये भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों के मेधावी छात्र हैं जिनकी रुचि राजनीति में आ कर देश के लिए कुछ करने की है। आपसे अनुरोध है कि कार्यक्रम को सुनें और इन मेधावी छात्रों का हर तरह से मनोबल बढ़ाएं।


कार्यक्रम अमरीका के पूर्वी समय के अनुसार दोपहर १:०० बजो से २:३० बजे तक, और भारत के रात ११:०० बजे से सुबह १:०० बजे तक सीधा प्रसारित किया जाएगा। सुनने के लिए इस कड़ी पर जाएँ और "Listen Online" पर चटका लगाएँ।

अनुराग


कार्यक्रम के बारे में अधिक जानकारी

Wednesday, February 14, 2007

मुझे चाय भी नहीं बनानी आती...

जाने कितनी बार एसा सुना है। अमरीका में भारत से आने वाले कई छात्रों के मुँह से एसा सुनने को मिलता है। भारत में भी कई बार जान पहचान में एसा सुना है। सोच कर लगता है कि हमारे माँ बाप ने बड़ा भला किया जो हमें घर के सारे काम कराए और सिखाए। मेरा मानना है कि जीवन में जितना खाना खाना आना जरूरी है, उतना ही खाना बनाना भी। इस लेख में मैं इस साधारण किंतु महत्वपूर्ण मुद्दे की तरफ ध्यान दिलाना चाहूँगा।

कई बार माता पिता अत्यधिक प्रेम में अपनी संतान (लड़का या लड़की) को घर के काम काज बिलकुल नहीं सिखाते, जिसमें खाना बनाना, सफाई, घर ठीक रखना आदि आते हैं। एसे बच्चों को जब आत्मनिर्भर होना पड़ता है तो उनकी बड़ी मुसीबत होती है। खाना बनाना ना आने के कारण, इन्हें अक्सर जंक फूड पर निर्भर होना पड़ता है। मैंने 6 महीने में लोगों को इस कारण बुरी तरह मोटाते देखा है।

खाना बनाना आ भी जाए तो बर्तन साफ करने का काम इतना लगता है कि खाना ना ही बनाएं तो अच्छा। इतने पर घर की सफाई तो लगता है कि हो ही नहीं सकती। मूत्रालय में फफूँदी तक जम जाती है, बर्तन तब तक नहीं धुलते जब तक खाना सड़ ना जाए और कीड़े ना पड़ने लगें (ये अतिशयाक्ति नहीं है), गंदे संदे अंग वस्त्र (अंडर गार्मेंट्स) दुबारा पहनने पड़ते हैं। अमरीका में तो खासकर अपने सारे काम स्वयं करने पड़ते हैं। इन सबके ऊपर समय पर बिल देना, नहीं तो क्रेडिट हिस्टरी खराब, स्वास्थ्य बीमा खत्म हो जाए तो अलग मुसीबत।

मैं समझता हूँ कि माँ बाप को बच्चों को ये सारे काम समय रहते सिखाने चाहिए और अच्छे से सिखाने चाहिए, ताकि बच्चे ना सिर्फ ये सब काम कर सकें, बल्कि तरीके से और जल्दी भी कर सकें। जिन लोगों को लिए ये सब काम कोई बड़ी बात नहीं होते और वे ये काम आसानी से कर लेते हैं, वे अपना बाकि ध्यान और समय पढ़ाई या और कामों में लगा सकते हैं।


अनुराग

Sunday, February 04, 2007

एक बचपन की कविता

एक बचपन की कविता याद आई

नदी किनारे टोकरा था,
टोकरे में सोनू बैठा था,
बैठे बैठे भूख लगी,
एक नारंगी तोड़ लिया,
माली के बेटे ने देख लिया,
फूलझड़ी से दे म्म्म्म्म्मारा........................


अनुराग

Thursday, February 01, 2007

भारत: आंदोलन के लिए तैयार छात्र

आपमें से कइयों ने एक नयी राजनैतिक पार्टी का बारे में सुना होगा, जिसका नाम है "भारत पुनर्निर्माण दल।". इस आलेख में मैं आपको इस नये दल के बारे में बताना चाहूँगा और ये भी कि मैं इस नये दल के बारे में क्यों उत्साहित हूँ।

इस दल की ये विचारधारा है कि समाज की सारी समस्याओं की जड़ है, भ्रष्ट राजनीति, जो कि मेरा भी मानना है। एसा सबने महसूस किया होगा कि एक आम आदमी जिसमें देश के लिए कुछ भी करने की इच्छा हो, राजनीति में नहीं आना चाहता। राजनीति को कभी भी एक करियर की नज़र से नहीं देखा जाता। किसी में अगर राजनीति में जाने की इच्छा भी हो तो वो कोशिश नहीं करना चाहता, राजनीति के अपराधीकरण के कारण।

मेरा उत्साह मुख्यतः इस कारण से है कि ये दल छात्रों का बनाया हुआ है, और छात्र भी भारत के नामी गिरामी संस्थानों के। छात्र जो युवा हैं, उच्च शिक्षा प्राप्त हैं, और जिनकी आँखों में सपने हैं वे देश के लिए चमत्कार कर सकते हैें। जहाँ तक मैं देख रहा हूँ, इस दल को मीडिया में ज्यादा महत्व नहीं मिल रहा है, शायद इसलिए कि ये दल नया है और ज्यादा मसालेदार खबरों का स्रोत नहीं है। हमारे लिए आवश्यक है कि हम इनका उत्साहवर्धन करें। नीचे इस दल के बारे में एक-दो कड़ियाँ हैं।

सी एन एन : आई बी एन
द टाइम्स ऑफ इंडिया

मैं उन्हें अपने रेडियो कार्यक्रम में शामिल करने का भी प्रयास करूँगा, ताकि इन छात्रों और भविष्य के राजनेताओं की ज्यादा से ज्यादा लोगों से मुलाकात करा सकूँ।ऑरकुट, में भी कुछ इनके नाम से समुदाय बने हुए हैं।

संपादित: मैंने भापुद के अध्यक्ष, श्री अजीत शुक्ला को 17 फरवरी के अपने कार्यक्रम में आमंत्रित कर लिया है। विवरण की प्रतीक्षा करें।

इतिहास गवाह है कि बड़े आंदोलन और सामाजिक बदलाव छात्रों के ही माध्यम से हुए हैं। ना भरोसा हो तो नीचे का विडियो देखें।



अनुराग