एक बचपन की कविता याद आई |
Sunday, February 04, 2007
एक बचपन की कविता
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दुनिया में चल रही तमाम घटनाओं पर मेरे विचार मेरी मातृभाषा में।
एक बचपन की कविता याद आई |
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6 टिप्पणियाँ:
अनुराग,
यह वाली नहीं याद है,
टन टन टन टन घंटा बोला
चपरासी ने फाटक खोला
बच्चे गये स्कूल
मास्टर साहब ने सवाल पूछा
बच्चे गये भूल
मास्टर साहब को गुस्सा आया
मार दिया एक रूल
बच्चूं को भी गुस्सा आया
छोड़ दिया स्कूल
स्कूल को भी गुस्सा आया
गिर पड़ा स्कूल
:)
अनुराग द्वय:
दोनों को बधाई :) और सुनाओ कविता, इस तरह की और भी तो सीखी होंगी - :)
अनुराग भाई,
यह भी आओअ ही हो…!!मजा आ गया दोनों ही बहुत Unique है बस नाम का थोड़ा फर्क है…जैसी लिखी वैसी ही टिप्पणी…कम मिलती है…बधाई!
आप लोगों को मज़ा आया, ये सोच कर हमें भी मज़ा आया। अनुराग जी आपका कविता जोड़ना भी बढ़िया लगा।
दोनों अनु(ओं) ने क्या राग अलपाये हैं मजा आ गया
बहुत ही अच्छा लिखते हैं आप तो !
नारायण
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