संपादित: ये घोषणा छपी है भापुद के जालस्थल पर उप्र के चुनावों के संदर्भ में।
जैसे कि आपमें से कइयों ने पढ़ा और सुना कि मैंने भारत पुनर्निमाण दल के उपाध्यक्ष श्री रवि किशोर जी का साक्षात्कार लिया था जो कि मैंने यहाँ पर पोस्ट किया है। रोजाना कि हिट्स से तो लगा कि काफी लोगों ने इस साक्षात्कार को सुना या पढ़ा है। खैर भापुद ने उत्तर प्रदेश में चुनावों में उतरने कि घोषणा कर ही दी है। करीब २५-३० सीटों पर प्रत्याशी घोषित किये गए हैं। लखनऊ से भापुद के अध्यक्ष श्री अजित शुक्ल ही चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।
कभी कभी लगता है कि देश को नयी पार्टी कि क्या ज़रूरत है, लेकिन साथ ही ये भी एहसास होता है कि अगर कल को वोट देने जाऊं तो किसे दूंगा वोट? कॉंग्रेस, बीजेपी, सपा, या बसपा ? नए विचारों से भरी हुए नए लोग ज़रूर ही कुछ नयी चीज़ें लेके आएंगे और कुछ नया करने कि हिम्मत भी। कम से कम अब ७०-८० साले के वृद्ध लोगों से शासित होने कि इच्छा तो बिल्कुल भी नहीं है।
खैर मेरी तो इस नयी पार्टी को शुभकामनाएं हैं। अगर उप्र में होता तो साथ भी ज़रूर देता इन लोगों का। मुझे रवि से साक्षात्कार में उनकी कुछ कही हुई बातें खास तौर पर पसंद आयी जिसे में यहाँ वैसा का वैसा अनुवादित कर दे रहा हूँ, अर्थ आप स्वयं लगायें :)।
"भारत का विकास आजादी के बाद से कोई बहुत योजानाबद्ध तरीके से नहीं हुआ है"
-ये समझाते हुए कि भारत पुनर्निमाण दल के नाम का मतलब क्या है
"राजनीति में आने के लिए प्रेरित होना मुश्किल नहीं है... प्रेरणा बड़ी आसानी से आ जाती है। हमारे देश की जनसंख्या १ अरब है, और ज़रा सदन में बैठे ५४३ लोगों को देखो या किसी भी राज्य कि सदन में बैठे लोगों का विश्लेषण करो। अपने आप को ये समझाना बड़ा आसान है कि हम इनसे बहुत बेहतर नेता दे सकते हैं"
-राजनीति में आने कि प्रेरणा के बारे में पूछने के बारे में
"तंत्र इतना भ्रष्ट है और कोई इसके लिए कुछ नहीं कर रहा है, ये अपने आप में एक प्रेरणा है"
-ये पूछने पर कि इतने भ्रष्ट तंत्र में घुस कर लड़ने कि प्रेरणाशक्ति कहाँ से आती है
राग |
2 टिप्पणियाँ:
लो भाई एक नई पार्टी आ गई है 403 मे 30 सीटो पर चुनाव लड़ेगें। अगर एक दो भी जीते गये तो खण्डित जनादेश और करोडो के वारे न्यारे करेगे। :)
प्रमेन्द्र जा राजनीतिक पार्टियों के बारे में हमारी भी यही सोच है। कहीं तो शुरुआत करनी पड़ेगी।
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