जनवरी 27 के कार्यक्रम के बारे में जल्दी कुछ नहीं लिख सका, इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ। सबसे पहले तरुन जी को कार्यक्रम रिकार्ड करने का शुक्रिया, ये शुक्रिया खास इसलिए भी कि मेरे द्वारा जो दो जगह रिकार्डिंग की कोशिश थी, बेकार हो गई।
मैं ईस्वामीजी, अनूप जी, और देबाशीष जी का कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए शुक्रगुज़ार हूँ। जैसा आप लोगों ने सुना कि कार्यक्रम में काफी महत्वपूर्ण चर्चाएँ हुईं, कई लोगों ने सीधा प्रसारण और कइयों ने रिकार्डिंग सुनी। आशा है कि इससे चिट्ठाकारी के बारे में कुछ लोगो की जानकारी अवश्य बढ़ी होगी। मुझे एस कार्यक्रम को आयोजित करने में बड़ा मज़ा आया और मैं प्रयास करूँगा कि भविष्य में और भी कुछ बड़ी हस्तियों से अपने श्रोताओं की मुलाकात करा सकूँ।
अगले हफ्ते (फरवरी ३) मैं अपने कार्यक्रम में एक मित्र हर्ष करूर को बुला रहा हूँ। हर्ष वर्जीनिया टेक में एक समाजसेवी संस्था "आशा - शिक्षा की" की स्थानीय इकाई शुरू करने जा रहे हैं। आशा की विश्वभर में कई शाखाएँ हैं और वे भारत में शिक्षा को बढ़ावा देने वाली संस्थाओं की मदद करती है। आशा है कि आप को इस कार्यक्रम से काफी प्रेरणा मिलेगी।
जहाँ तक हिन्दी चिट्ठाकारी और हिन्दी में सामग्री की बात है, मेरा मानना है, मुझे लगता है कि जैसे जैसे इसके पाठक गण बढ़ेंगे, इसकी सामग्रियों में विविधता की आवश्यकता बढ़ेगी, और बढ़ भी रही है। जो विषय मुझे समझ आते हैं वे इस प्रकार हैं।
१. वाणिज्य- अभी इस पर बहुत ही कम चिट्ठे हैं। इस विषय में अपार संभावनाएँ और लोगों की रुचि भी है (पैसा किसे नहीं प्यारा होता)
२. कम्प्यूटर - इस पर चिट्ठे तो हैं लेकिन इसकी सामग्री अभी बरसों पीछे है।
३. तनाव - तनाव से निटने के बारे में हिन्दी में कोई सामग्री नहीं है।
४. विवाह - वैवाहिक जीवन की समस्याओं से निपटने के लिए भी कम सामग्री है। विवाह से पहले अपनाए जा सकने वाले सुझावों की भी ज़रुरत है।
५. शारीरिक विज्ञान - शारीरिक समस्याओं के बारे में भी कम जानकारी है।
६. सेक्स - रोज़मर्रा की भाषा में सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं है।
७. किशोर - किशोरों के लिए कोई आकर्षण नहीं है।
८. पाक विधियाँ - पाक विधियाँ बहुत कम हैं।
९. राजनीती - राजनैतिक विश्लेषण मात्र कुछ ही विषयों पर हैं।
१०. तकनीकी विषय - तकनीकी विषयों के बारे में कम जानकारी है। जैसे, भूगोल, भौतिक शास्त्र, रसायन विज्ञान, आदि। मसलन पंखा कैसे चलता है? रिमोट कैसे काम करता है।
११. धार्मिक विषयों मे अधिकतर सामग्री अंग्रेजी में है, जो हिन्दी में है वह रोज़मर्रा की भाषा में कम है।
१२. सकारात्मक विषय नदारद हैं, मसलन मैं यहाँ एक संस्था AID "Association for India's Development" में कभी कभी सहयोग करता हूँ, लेकिन कभी लिखा नहीं। एसे लेख पाठकों का बहुत उत्साह वर्धन करतें हैं। हर कोई कभी ना कभी किसी की मदद ज़रूर करता है, इस बारे में लिखें।
ये सूची हर मायने में अधूरी है, और आप इसे बढ़ा सकते हैं। कई विषयों की श्रेणी बनाई जा सकती है और चिट्ठाकारों को कम से कम एक चिट्ठा हर हफ्ते या हर महीने किसी एक विषय पर लिखने के लिए कहा जा सकता है। आशा है कि आपको मेरे सुझाव पसंद आए होंगे। इन सुझावों को अगर किसी खाँचे में ढाला जा सके तो बढ़िया रहेगा।
उम्मीद है कि हिन्दी चिट्ठाकारी और हिन्दी में लेखन सामग्री अंतर्जाल पर बढ़ेगी।
अनुराग |
3 टिप्पणियाँ:
बहुत अच्छा लगा अपकी योजनाओं को जानकर विश्व साहित्य में हिंदी को सबल आप जैसे ही लोग बना सकते हैं…बहुत-2 शुभकामना कि आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ले और कई लोग लाभान्वित भी हों…!!
बात तो सही कही है आपने इन विषयों में वाकई में बहुत कम लेख मिलते हैं लेकिन धीरे धीरे शायद इनकी भी संख्या बढने लगे
वाह ! काफी अच्छी पोस्ट लिखी है आपने ।
नारायण
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