बहुत दिन पहले मैंने हम हिन्दुस्तानियों के विनय और आत्मसम्मान की कमी के बारे में चिट्ठा लिखा था। हर कुछ दिन बाद कुछ ना कुछ एसा होता है जो कि मेरी बातों को सच करता है। अब ये मुम्बई की ताज़ातरीन घटना देखिए। नये साल के स्वागत की पार्टी और शराब के नशे में धुत्त लोगों ने एक महिला के लाथ अभद्र व्यवहार किया। कारण कभी क्षणिक उत्तेजना या किसी महिला के भड़काऊ वस्त्र नहीं होते, बल्कि कारण समाज, कानून और महिलाओं के प्रति घटिया और छोटा नज़रिया होना होता है। |
Tuesday, January 02, 2007
नए साल की शर्मनाक शुरुआत
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 टिप्पणियाँ:
यह समाचार टीवी पर देखा तो शर्मसार हो गए. सरे आम चीर हरण.
शब्द नहीं है, वरना टिप्पणी में ही कुछ लिखते.
आशावादीता नहीं रहेगी तो जीयेंगे कैसे? कोई और रास्ता हो तो बताईये.
सही कह रहे हैं, मगर नव वर्ष फिर भी मुबारक हो. सब मिलकर बदलेंगे स्थितीयों को और उन्हें बदलना ही होगा.
समीर लाल जी आपकी बातों से कुछ ढांढस बँधा है। नया साल आपका भी मुबारक हो।
जितना बडा शहर उतने बडे जंगली.....भारत में पुलिस थानों को बंद भी कर दिया जाये तो कोई फर्क नही पड़्ने वाला....
Post a Comment