Sunday, May 06, 2007

सभी चिट्ठाकारों से विनती

कृपया अपने लेख जस्टिफाई ना किया करें। फायरफॉक्स में नहीं पढ़ा जाता। मुझे मालूम है कि एक एड ऑन से इस समस्या को दूर किया जा सकता है, लेकिन तीन चार चिट्ठों के लिए एसा करना मुझे नहीं ठीक लगता। वैसे भी मैं अपने फायरफॉक्स में कम से कम एक्सटेंशन रखना चाहता हूँ, ताकि वो जल्दी चालू हो सके।

इसके अलावा हमारा ये प्रयास होना चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा लोग हमारे चिट्ठे कम से कम परेशानियों से पढ़ं सकें। हिन्दी पढ़ने लायक कम्प्यूटर को बनाना ही अपने आप में एक बहुत बड़ा तकनीकी अवरोधक हो जाता है, और उसे दूर करना ही काफी होना चाहिए। इसके अलावा हम लोग हमेशा एक कम्प्यूटर पर तो बैठते नहीं, और हर कम्प्यूटर की सेटिंग कौन बदले?

अनुराग

8 टिप्पणियाँ:

रवि रतलामी said...

आप सही कह रहे हैं, परंतु ये बात भी सत्य है कि बहुत से बंधुओं को तकनीकी ज्ञान नहीं के बराबर होता है, और वे सिर्फ अपने उत्साह से हिन्दी में ब्लॉग लेखन प्रारंभ कर रहे हैं - एक एक बिट सीखते हुए.

हमें इनका थोड़ा सा साथ तो देना चाहिए ही.

और, मॉजिल्ला वाले भी लगे हुए हैं इस सड़े से बग को अपने अगले संस्करण में दूर करने के लिए...

Rajesh Kumar said...

सही बोलते हैं, मुझे काफी बाल नोचने के बाद ये कल ही समझ आया। एक दिन इंतजार कर लिया होता, आपका आलेख पढ़ने को मिल जाता और कुछ बाल भी बच जाते ः)

Sanjeet Tripathi said...

रवि जी से सहमत हूं अब ऐसे लोग ही चिट्ठाजगत में ज्यादा आ रहें हैं जिन्हे इंटरनेट या कंप्यूटर की तकनीकी जानकारी ज्यादा नही है, (मै खुद भी ऐसा ही हूं) सो ऐसे लोगों को सीखने में समय तो लगेगा ही, जरुरत है धैर्य रखने व सहायता करने की।

Rajesh Roshan said...

अनुराग जी मैं अपने पोस्ट को ब्लॉगर में लिखता हु रोमन में और ट्रांस्लितेरेशन कि मदद से उसे हिंदी कर उसे बिना कोई अलिग्न्मेंत दिए कापी कर वर्डप्रैस में पोस्ट कर देता हु । मैं इसे जुस्तिफ्य नही कर्ता लेकिन फायर फॉक्स में पढने में दिक्कत होती है । क्या करु ????

Raag said...

राजेशरोशन जी, मैंने वैसा ही किया जैसा आप कह रहे हैं, लेकिन मेरे साथ एसा नहीं हुआ। खैर सारा टेक्स्ट कॉपी करने के बाद आप सबको सेलेक्ट करके लेफ्ट अलाइन वाली बटन दबा दिया कीजिए, पक्का करने के लिए, फिर जाँचिए और बताइए।

Dr. Johnson C. Philip said...

दो पेरग्राफ में आपने काफी कुछ कह दिया है. कईयों के बाल आइन्दा बच जायेंगे!!

हम सबको कुछ न कुछ करना होगा, जैसे रविजी ने कहा है: "हमें इनका थोड़ा सा साथ तो देना चाहिए ही."

शास्त्री जे सी फिलिप

Anonymous said...

Anuragji,

I saw the link you put for Roman-Hindi in your header. I found the background color and foreground color combination little tough to read.

-Piyush

हरिराम said...

देवनागरी तथा अन्य भारतीय लिपियाँ कम्प्यूटिंग की दृष्टि से क्लिष्ट (complex) श्रेणी में रखी गईं हैं, जिसका कारण है शून्य चौड़ाई वाले अक्षर अर्थात् मात्राएँ, संयुक्ताक्षर तथा दोमुँहा तकनीकी (भण्डारण, संसाधन के लिए यूनिकोड कूट और पारम्परिक रूप में प्रदर्शन और मुद्रण के लिए ओपेन टाइप फोंट का प्रयोग)। इस कारण जस्टिफाई करने पर पाठ कई सॉफ्टयेवरों में बिगड़ा दिखता है। विशेषकर डैटाबेस प्रबन्धन में तो indic अपने आप में एक सुपर-समस्या है। इसके समाधान के लिए इन्हें एकमुखी, इकहरी, सरल, सपाट बनाना आवश्यक है।