एक बचपन की पुरानी कविता याद आई, माँ की सुनाई हुई, तो सोचा की बाँट लूँ। |
Thursday, November 30, 2006
याद आई एक पुरानी कविता
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दुनिया में चल रही तमाम घटनाओं पर मेरे विचार मेरी मातृभाषा में।
एक बचपन की पुरानी कविता याद आई, माँ की सुनाई हुई, तो सोचा की बाँट लूँ। |
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3 टिप्पणियाँ:
बहुत अच्छी कविता है।
वाह, अनुराग, बचपन याद आता है, न!!!
बहुत ही नटखट-सी कविता है. मजा आया.
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