Thursday, November 30, 2006

याद आई एक पुरानी कविता

एक बचपन की पुरानी कविता याद आई, माँ की सुनाई हुई, तो सोचा की बाँट लूँ।

घर आई आटे की बोरी,
चुहिया निकली करने चोरी,
बोरी काट घुसी वो अंदर,
छुप आटे में करती फड़ फड़,
नानी ने जब गूँथा आटा,
चुहिया ने उँगली में काटा,
नानी बोली हाय हाय,
सारा खून निकलता जाए,
पकड़ो चुहिया भाग ना पाए।

अनुराग

3 टिप्पणियाँ:

Anonymous said...

बहुत अच्‍छी कविता है।

Udan Tashtari said...

वाह, अनुराग, बचपन याद आता है, न!!!

Anonymous said...

बहुत ही नटखट-सी कविता है. मजा आया.