भारतवर्ष की यूपीए सरकार को देखकर ऐसा ही लगता है। जिसकी जो मर्जी़ आए वही करता है। कुछ दिन पहले अर्जुन सिंह को अचानक सामाजिक न्याय का भूत सवार हुआ और उन्होंने आरक्षण का शगूफ़ा छोड़ दिया। नतीजा सबके सामने है। मीरा कुमार को लगा की वो कहीं सामाजिक न्याय की रेस में पीछे ना छूट जाए तो उन्होंने खुलेआम सभी निजी कंपनिओं को अपने यहाँ आरक्षण लगाने की धमकी दे डाली।
किसी तरह इन सब पर भी देश चल रहा था तो एकदम बेकाम स्वास्थ्य मंत्री ने एम्स के निदेशक को बर्खास्त कर दिया। अब स्वास्थ्य मंत्री के सामने एम्स के निदेशक की काबिलियत की क्या बात कहें। बस इतना काफी है की दिल के डाक्टरों में वे भारत में सर्वोत्तम माने जाते हैं, हाँ अलबत्ता कोई चुनाव नहीं जीते हैं बेचारे।
अब इसे स्वास्थ्य मंत्री जी की बदले की कार्रवाई ना समझें तो क्या कहें? उधर सरकार हड़ताल से लौटे डाॅक्टरों को तनख्वाह नहीं दे रही है, जो की सीधे सीधे उच्चतम न्यायालय की आज्ञा की अवहेलना है।
जब ये सरकार उच्चतम न्यायालय को ठेंगा दिखा सकती है तो हम और आप हैं ही क्या?
प्रधानमंत्री जी की तो क्या ही सुनाएं? मेरी नज़र में वे भारत के हर नागरिक की बेबसी और मूर्खता के जीते जागते उदाहरण हैं। बेशर्मी की हद ये की विदर्भ में इतने किसानों की आत्महत्या के बाद वहाँ जाकर थोड़ा मलहम लगाकर बोले की सिर्फ़ खेती से कुछ नहीं होगा, किसानों को और भी धंधे करने चाहिए। इतने होनहार प्रधानमंत्री से ये बात सुन के शर्म तो आती ही है, बेबसी ज्यादा महसूस होती है।
मूर्खता का तमाशा करती ये सरकार ना जाने कब तक हमारे सर पर सरकस करेगी?
अनुराग |
2 टिप्पणियाँ:
अनुराग भाई, आपने दुखती रग को छेड़ दिया है। भारत के पास सब कुछ है - अकूत प्राकृतिक सम्पदा और प्रतिभावान युवकों की बड़ी तादाद। लेकिन भ्रष्ट नौकरशाही और महाभ्रष्ट व सरकसनुमा सरकार भारत के विकास में सबसे बड़ा रोड़ा हैं। इस विषय पर ख़ासे गम्भीर चिन्तन की आवश्यकता है कि इस स्थिति में सुधार करने के लिए क्या किया जाना चाहिए।
अनुराग भाई, आपकी प्रविष्टियाँ नारद पर नहीं नज़र आ रही हैं। कृपया नारद जी से सम्पर्क करें।
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