tag:blogger.com,1999:blog-28671710.post8244394326391280183..comments2023-09-08T06:11:29.680-04:00Comments on राग- हिन्दी में: वर्जीनिया टेक की घटना और मेरे अनुभव-1Raaghttp://www.blogger.com/profile/17899437600804420902noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-28671710.post-87545197397299355822007-04-25T14:12:00.000-04:002007-04-25T14:12:00.000-04:00Its a very sad time for VT, and our prayers are wi...Its a very sad time for VT, and our prayers are with you guys. Take care AnuragAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-28671710.post-57118090767486486742007-04-25T13:26:00.000-04:002007-04-25T13:26:00.000-04:00आपका अनुभव पढ़कर मेरी आंखे छलछला उठी हैं. जो कल तक...आपका अनुभव पढ़कर मेरी आंखे छलछला उठी हैं. जो कल तक अपने साथ थे..एकाएक अपने बीच वो नहीं दिखेंगे. मेरे पास शब्द नहीं है. इस तरह की घटना झकझोर कर रख देती है.<BR/>मुझे इस बात से भी हैरत होती है कि इस तरह के शूट आउट कर किसी को क्या मिलता है? इन मानसिक रोगियों का रोग दूर किया जाना चाहिए. हिंसा किसी समस्या का हल क़तई नहीं सकता. क्षोभ होता है मुझे. <BR/>आपने दुख बांटा.. आपके साथ जो कुछ हुआ.. वहां जिन लोगों के अज़ीज़, यार दोस्त रिश्तेदार आज शोकमग्न है.. मेरी संवेदनाएं उनके साथ हैं. दुनिया में कहीं कोई इस हिंसा का शिकार होता है. मैं सोचता हूं कि सियासी तानेबाने में हम नाहक फंस रहे हैं. हमें शांति चाहिए.. हम ऐसी दुनिया में कैसे रहेंगे, हमारी अगली पीढ़ी कैसे रहेगी. <BR/>किंतु हमें यह भी ध्यान देना चाहिए कि हमारे बीच कोई ऐसा न हो जो उस मानसिक अवस्था तक पहुंच जाए जो शूट आउट का कारण बना. हमें समतामूलक समाज की ओर बढ़ना होगा. <BR/>अनुराग भाई, मैं आपके अगले लेख का इंतज़ार कर रहा हूं. उम्मीद है आप मीडिया के गिद्धपने पर बेबाकी से लिखेंगे.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-28671710.post-19741923004763312702007-04-25T04:30:00.000-04:002007-04-25T04:30:00.000-04:00अपना दुख व अनुभव हमारे साथ बाँटने के लिए धन्यवाद ।...अपना दुख व अनुभव हमारे साथ बाँटने के लिए धन्यवाद । ऐसे ही लिखते रहें । दुख बाँटने से मन हलका होता है । <BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-28671710.post-88911385077960297762007-04-24T10:43:00.000-04:002007-04-24T10:43:00.000-04:00अनुराग, काश ये घटना ही ना हुई होती! एक बात कहनी हो...अनुराग, <BR/><BR/>काश ये घटना ही ना हुई होती! <BR/><BR/>एक बात कहनी होगी आप और आपके केंपस के और ब्लागर्स बहुत कठिन संतुलन साध रहे हो. <BR/>घटना को बाहर से देखने, उसका हिस्सा बनने और स्वयं पर हुए प्रभाव सारे परिपेक्ष्य अच्छे से बारी बारी रख रहे हो. अंग्रेजी के कई ब्लागर्स ने भी बहुत समझदारी से अपनी बातें रखीं. काश मीडिया वाले कुछ सीखें!eSwamihttps://www.blogger.com/profile/04980783743177314217noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-28671710.post-46174060464720006822007-04-24T07:25:00.000-04:002007-04-24T07:25:00.000-04:00जीवन वाकई ऐसा ही है।जीवन वाकई ऐसा ही है।मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-28671710.post-1178466496296394152007-04-24T06:50:00.000-04:002007-04-24T06:50:00.000-04:00यह एक कठिन और दुखद समय है. बस इतना ही कह सकते हैं ...यह एक कठिन और दुखद समय है. बस इतना ही कह सकते हैं कि इस दुखद घड़ी में हम आपके साथ है. धीरज से काम लें.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-28671710.post-83177574014220861892007-04-24T05:55:00.000-04:002007-04-24T05:55:00.000-04:00आपके द्वारा बतायी एक एक बात ऑंखों मे पानी ला रहा थ...आपके द्वारा बतायी एक एक बात ऑंखों मे पानी ला रहा था, भले ही वहॉं कोई अपना न था पर जो भी थे वो अपनों से कम न था। <BR/><BR/>सभी मृतात्माओं को हार्दिक नमन। और इस उस समय उपस्थित प्रत्यक्ष दर्शीयों के हृदय को भगवान बल प्रदान करें।Pramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-28671710.post-17520645219211732952007-04-24T03:17:00.000-04:002007-04-24T03:17:00.000-04:00आप का यह लेखन अन्तत: आपको शक्ति देगा ।आप का यह लेखन अन्तत: आपको शक्ति देगा ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-28671710.post-67386193239252607742007-04-24T02:28:00.000-04:002007-04-24T02:28:00.000-04:00सही है कि जीवन क्षणभंगुर है। दार्शनिकों ने कहा है ...सही है कि जीवन क्षणभंगुर है। दार्शनिकों ने कहा है कि हर दिन जीवन का अंतिम दि समझ कर जिएँ, परंतु आम आदमी के लिए ये संभव नहीं है।Anonymousnoreply@blogger.com