Sunday, May 27, 2007

स्पाइडरमैन - ३ देख ली

वैसे देखे हुए तो करीब अब एक हफ्ता हो ही गया। बढ़िया फिल्म है। अब स्पाइडरमैन की फिल्म में एक्शन, स्टंट, और बेहतरीन प्रभाव तो होते ही हैं, लेकिन इसके अलावा भी कहानी में एक खास बात होती है जो आपको बाँध कर रखती है। स्पाइडरमैन श्रंखला कि मैंने तीनों फिल्में देखीं है और कई कई बार देखी हैं।

जहाँ तक कहानी का सवाल है स्पाइडरमैन-३ कि कहानी ये बताती है की सबसे बड़ा संघर्ष इन्सान के खुद के दिल में होता है। बदले कि भावना, असीम ताक़त, और गुरूर इन्सान को भ्रष्ट बना सकता है, चाहे वो स्पाइडरमैन ही क्यों ना हो। और मदद की ज़रूरत भी सबको होती है, फिर चाहे हो स्पाइडरमैन ही क्यों ना हो। दूसरों के नज़रिये को समझना चाहिऐ और इसे समझने के लिए समय भी देना चाहिऐ।



मूवी के अपने कुछ खास पल हैं। पीटर पार्कर और मैरी जेन का मकड़ी के जाल पर बैठ कर बातें और प्यार करने का दृश्य बड़ा ही खूबसूरत बना है। एक बहुत ही महत्वपूर्ण दृश्य तब है जब पीटर पार्कर अपनी आंटी से कहता है की वो मैरी से शादी करने के लिए कहेगा। इस समय बाक़ी बातों के अलावा पीटर कि आंटी उसे बताती है की शादी से पहले इस बात का वादा करो कि खुद से आगे हमेशा अपनी पत्नी को रखोगे। और ये भी की लड़कियों से शादी के लिए पूछना उनके लिए एक बहुत खास पल होता है, और इसको जितना खूबसूरत बना सको, बनाना। अब मैं पीटर कि आंटी के सारे उदगार बता दूंगा तो आपका मूवी का मज़ा खराब हो जाएगा।

स्पाइडरमैन-३ ज़रूर देखिए क्यूंकि इसमें स्पाइडरमैन है, खूबसूरत मैरी जेन है, बेहतरीन स्टंट, और एक्शन है, लेकिन इससे भी बड़ी बात है आपको बाँध के रखने वाली कहानी।

राग

Monday, May 21, 2007

सैन फ्रांसिस्को की हमारी ताज़ा यात्रा

अमरीका में रहते हुये अब ५ साल से ऊपर हो गए मगर पश्चिम में जाने का मौका हमें अब मिला। यूँ तो यात्रा करीब ४ दिन की थी, मगर दौड़ भागी में ही समय निकल गया और पर्यटन कम हो पाया। लेकिन हर नयी जगह का अपना अनुभव अलग ही होता है। सबसे बड़ी गलती ये कि हम जाते वक्त अपना कैमरा भूल गए, अब इस पर कितनी डांट खायी, ये बात फिर कभी।

वैसे अगर न्यू यॉर्क और सैन फ्रांसिस्को में तुलना की जाये तो सैन फ्रांसिस्को कि यात्रा अपनेआप में काफी सरल थी। सबसे पहली जो चीज़ दिखी वो थी सैन फ्रांसिस्को का बहुत ही बड़ा एअरपोर्ट। हवाई जहाज से उतरने से लेकर कार रेंटल तक पहुचने में २० से २५ मिनट लगे, जिसमें थोड़ी सी ट्रेन यात्रा, काफी लिफ्ट्स, और कई एस्केलेटर्स से होकर गुज़रना पड़ा। अब हमारे जैसा लापरवाह आदमी चवन्नियां लेकर भी नहीं चला था की एक अदद कार्ट मिल जाती, सो एक बैग लाद कर और दो घसीट कर पूरा रास्ता चलाना पड़ा।

कार रेंटल में करीब आधा घंटा लंबी लाईन में इंतज़ार और करना पड़ा। खैर उन लोगों ने मुफ़्त का मानचित्र दे दिया सैन फ्रांसिस्को का, न्यू यॉर्क कि तरह नहीं सैन फ्रांसिस्को में लोग काफी तमीज से गाड़ी चलते हैं, इसलिये हमें ज्यादा दिक्कत नहीं हुई वहाँ, या फिर हम पुराने धुरंदर थे। खैर मुख्य शहर में हमारे होटल कि अपनी पार्किंग व्यवस्था नहीं थी, सो कुछ घंटों के लिए गाड़ी पार्क करने का ही १८ डॉलर देना पड़ा, रात भर वहीँ टिकाते गाड़ी तो होटल से ज्यादा खर्च पार्किंग का आ जाता उसके बाद से जाने कहाँ कहाँ खोज खोज कर गाड़ी मुफ़्त पार्किंग में लगायी।

सैन फ़्रांसिस्को एक खूबसूरत और बड़ा शहर है। जाहिर है कि कैमरा नहीं था इसलिये तसवीरें नहीं खींची मगर कैमरा फ़ोन से ये कुछ तसवीरें लीं है ट्रेज़र आइलैंड के पास। मौसम वहाँ का बड़ा अजीब लगा। हमेशा हवा चलती रहती है, और वो भी ठण्डी। मई के महिने में जैकेट पहन कर घूमना पड़ता था।



एक खास बात जो देखी सैन फ़्रांसिस्को में वो ये कि वहाँ के लोग पर्यावरण के प्रति बाक़ी जगहों से जागरूक लगे। कूड़ा रिसाईकल करने के लिए सब जगह सुविधाएं थीं। अधिकतर लोग सी ऍफ़ एल बल्ब का प्रयोग करते हैं। यहाँ तक कि विशालकाय सैन फ़्रांसिस्को पुल पर भी सी ऍफ़ एल बल्ब लगे थे।

सैन फ़्रांसिस्को से कई छोटे शहर भी जुड़े हुए हैं, जैसे कि फ्रेमोंट, जहाँ काफी भारतीय रहते हैं। फ्रेमोंट इतना खूबसूरत है, जैसे जन्नत, बिना किसी अतिशयोक्ति। फिर से तस्वीरों कि कमी खल रही है। वहाँ एक भारतीय-पाकिस्तानी भोजनालय में ख़ूब खाना खाया। गजब का सस्ता खाना, और बड़ा स्वादिष्ट। शाम को खाने के समय ऐसे भीड़ देखने को मिलती कि लगता कोई अपने घर में खाना बनाना ही नहीं चाहता। लोग फ़ोन से आर्डर करके फिर खाना लेके भी जाते थे। सफाई के बारे में ज्यादा कुछ खास नहीं कहा जा सकता, लेकिन जहाँ इतना खाना बनता हो वहाँ ठीक ही होगा ;)। मगर जाने क्यों भारतीय दुकानों के शौचालय कहीँ साफ क्यों नहीं मिलते? कहना मुश्किल है मगर क्या ये हमारा राष्ट्रीय चरित्र दिखाता है? एक दो भारतीय कपड़ों की दुकान भी दिखी, पर जाने क्यों महिलाओं के भारतीय कपड़े अमरीका में बड़े ही बेकार मिलते हैं (हमारी धर्म पत्नी के अनुसार)।

जैसा हमने पहले कहा है सैन फ़्रांसिस्को में मानचित्र आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन यहाँ अमेरिका के बाक़ी शहरों की तरह हर हाईवे एग्जिट की संख्या नहीं होती, जिससे कई बार धोखा हो सकता है कहीँ पहुंचने में, इसलिये गाड़ी चलते वक़्त ज्यादा ध्यान देना पड़ता है। खैर अब हमारा सैन फ़्रांसिस्को कई बार आना जाना होता रहेगा तो तस्वीरों की कमी भी जल्दी पूरी कर देंगे।

राग

Sunday, May 06, 2007

सभी चिट्ठाकारों से विनती

कृपया अपने लेख जस्टिफाई ना किया करें। फायरफॉक्स में नहीं पढ़ा जाता। मुझे मालूम है कि एक एड ऑन से इस समस्या को दूर किया जा सकता है, लेकिन तीन चार चिट्ठों के लिए एसा करना मुझे नहीं ठीक लगता। वैसे भी मैं अपने फायरफॉक्स में कम से कम एक्सटेंशन रखना चाहता हूँ, ताकि वो जल्दी चालू हो सके।

इसके अलावा हमारा ये प्रयास होना चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा लोग हमारे चिट्ठे कम से कम परेशानियों से पढ़ं सकें। हिन्दी पढ़ने लायक कम्प्यूटर को बनाना ही अपने आप में एक बहुत बड़ा तकनीकी अवरोधक हो जाता है, और उसे दूर करना ही काफी होना चाहिए। इसके अलावा हम लोग हमेशा एक कम्प्यूटर पर तो बैठते नहीं, और हर कम्प्यूटर की सेटिंग कौन बदले?

अनुराग