Tuesday, January 30, 2007

रेडियो कार्यक्रम, मेरा अनुभव, भविष्य की योजनाएँ

जनवरी 27 के कार्यक्रम के बारे में जल्दी कुछ नहीं लिख सका, इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ। सबसे पहले तरुन जी को कार्यक्रम रिकार्ड करने का शुक्रिया, ये शुक्रिया खास इसलिए भी कि मेरे द्वारा जो दो जगह रिकार्डिंग की कोशिश थी, बेकार हो गई।

मैं ईस्वामीजी, अनूप जी, और देबाशीष जी का कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए शुक्रगुज़ार हूँ। जैसा आप लोगों ने सुना कि कार्यक्रम में काफी महत्वपूर्ण चर्चाएँ हुईं, कई लोगों ने सीधा प्रसारण और कइयों ने रिकार्डिंग सुनी। आशा है कि इससे चिट्ठाकारी के बारे में कुछ लोगो की जानकारी अवश्य बढ़ी होगी। मुझे एस कार्यक्रम को आयोजित करने में बड़ा मज़ा आया और मैं प्रयास करूँगा कि भविष्य में और भी कुछ बड़ी हस्तियों से अपने श्रोताओं की मुलाकात करा सकूँ।

अगले हफ्ते (फरवरी ३) मैं अपने कार्यक्रम में एक मित्र हर्ष करूर को बुला रहा हूँ। हर्ष वर्जीनिया टेक में एक समाजसेवी संस्था "आशा - शिक्षा की" की स्थानीय इकाई शुरू करने जा रहे हैं। आशा की विश्वभर में कई शाखाएँ हैं और वे भारत में शिक्षा को बढ़ावा देने वाली संस्थाओं की मदद करती है। आशा है कि आप को इस कार्यक्रम से काफी प्रेरणा मिलेगी।

जहाँ तक हिन्दी चिट्ठाकारी और हिन्दी में सामग्री की बात है, मेरा मानना है, मुझे लगता है कि जैसे जैसे इसके पाठक गण बढ़ेंगे, इसकी सामग्रियों में विविधता की आवश्यकता बढ़ेगी, और बढ़ भी रही है। जो विषय मुझे समझ आते हैं वे इस प्रकार हैं।

१. वाणिज्य- अभी इस पर बहुत ही कम चिट्ठे हैं। इस विषय में अपार संभावनाएँ और लोगों की रुचि भी है (पैसा किसे नहीं प्यारा होता)

२. कम्प्यूटर - इस पर चिट्ठे तो हैं लेकिन इसकी सामग्री अभी बरसों पीछे है।

३. तनाव - तनाव से निटने के बारे में हिन्दी में कोई सामग्री नहीं है।

४. विवाह - वैवाहिक जीवन की समस्याओं से निपटने के लिए भी कम सामग्री है। विवाह से पहले अपनाए जा सकने वाले सुझावों की भी ज़रुरत है।

५. शारीरिक विज्ञान - शारीरिक समस्याओं के बारे में भी कम जानकारी है।

६. सेक्स - रोज़मर्रा की भाषा में सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं है।

७. किशोर - किशोरों के लिए कोई आकर्षण नहीं है।

८. पाक विधियाँ - पाक विधियाँ बहुत कम हैं।

९. राजनीती - राजनैतिक विश्लेषण मात्र कुछ ही विषयों पर हैं।

१०. तकनीकी विषय - तकनीकी विषयों के बारे में कम जानकारी है। जैसे, भूगोल, भौतिक शास्त्र, रसायन विज्ञान, आदि। मसलन पंखा कैसे चलता है? रिमोट कैसे काम करता है।

११. धार्मिक विषयों मे अधिकतर सामग्री अंग्रेजी में है, जो हिन्दी में है वह रोज़मर्रा की भाषा में कम है।

१२. सकारात्मक विषय नदारद हैं, मसलन मैं यहाँ एक संस्था AID "Association for India's Development" में कभी कभी सहयोग करता हूँ, लेकिन कभी लिखा नहीं। एसे लेख पाठकों का बहुत उत्साह वर्धन करतें हैं। हर कोई कभी ना कभी किसी की मदद ज़रूर करता है, इस बारे में लिखें।

ये सूची हर मायने में अधूरी है, और आप इसे बढ़ा सकते हैं। कई विषयों की श्रेणी बनाई जा सकती है और चिट्ठाकारों को कम से कम एक चिट्ठा हर हफ्ते या हर महीने किसी एक विषय पर लिखने के लिए कहा जा सकता है। आशा है कि आपको मेरे सुझाव पसंद आए होंगे। इन सुझावों को अगर किसी खाँचे में ढाला जा सके तो बढ़िया रहेगा।

उम्मीद है कि हिन्दी चिट्ठाकारी और हिन्दी में लेखन सामग्री अंतर्जाल पर बढ़ेगी।

अनुराग

Sunday, January 21, 2007

जनवरी 27 रेडियो पर हिन्दी चिट्ठाकारी

जनवरी 27 को अपने रेडियो कार्यक्रम में मैं हिन्दी चिट्ठाकारी पर चर्चा करूँगा। यह कार्यक्रम यूएस में दोपहर 1 बजे और भारत में रात के 11:30 बजे सुना जा सकेगा। इन्टरनेट पर सुनने के लिए इस पते पर जाएँ http://www.wuvt.vt.edu/main.html और "Listen Online" पर चटका लगाएँ। फिर "Available Web Streams" में जैसा आपका कनेक्शन हो उस हिसाब से चटका लगाएँ।

इस कार्यक्रम में मैं श्रोताओं को हिन्दी चिट्ठाकारी के कुछ खास लोगों से मिलवाना भी चाहूँगा। मैं प्रयास करूँगा कि skype से मैं कुछ लोगों से उस दिन जुड़ सकूँ। मेरा skype प्रयोक्ता नाम है mishranurag । यदि आप मुझसे उस दिन जुड़ना चाहते हैं तो कृपया मेरे स्काइप नाम को अपने मित्रों में जोड़ लें और मुझे सूचित करें।

आशा है आपकी प्रेरणा से ये कार्यक्रम सफल होगा।

अनुराग
रेडियो के भारतीय कार्यक्रमों के बारे में मेरा चिट्ठा यहाँ है

Wednesday, January 17, 2007

किस का किस्सा...

मिका और राखी के किस के किस्से का बाद ये देखिए मिका का मस्त विडियो।

Sunday, January 14, 2007

हिन्दी वार्तालाप कक्षा

वर्जीनिया टेक में मैं एक स्वयंसेवक के रूप में एक हिन्दी वार्तालाप कक्षा अगले रविवार से प्रारंभ करने जा रहा हूँ। यह कक्षा हर रविवार करीब एक घंटे की होगी। इस कक्षा में पहले आधे घंटे में हिन्दी के बोलचाल के शब्दों के बारे में चर्चा होगी, तथा आखिरी के आधे घंटे में हिन्दी वर्णमाला, फिर हिन्दी के व्याकरण और धीरे धीरे हिन्दी लेखन की। हिन्दी में बातें करने के लिए कभी किसी फिल्म के हिस्से को देखेंगे, या कोई नया चिट्ठा पढ़ेंगे या किसी किताब का हिस्सा पढ़ेंगे।

आपकी शुभकामनाओं से ये प्रयोग सफल हो सकेगा। अपने अनुभव आगे के कुछ चिट्ठों में बताउँगा।

अनुराग

Friday, January 12, 2007

न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी की एक दिन की यात्रा

पिछले रविवार को एक दिन के लिए न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी की यात्रा पर जाना हुआ। ब्लैक्सबर्ग जैसे छोटे शहर में रह कर न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी जैसे बड़े शहर एक अलग ही अनुभव होते हैं। पहले आठ घंटे की कार यात्रा भारी लग रही थी, लेकिन अपनी पत्नी और बहन का साथ और रास्ते भर बकर बकर में रास्ता पता ही नहीं चला। हमारा पड़ाव मुख्यतः न्यू जर्सी था जहाँ हम शाम चार बजे कार से पहुँचे। होटल से हम पास के ट्रांज़िट स्टेशन कार से गए। कार से जाने का लिए सड़क मानचित्र एसी जगह पर बहुत ही ज़रुरी होता है। आश्चर्यजनक रुप से होटल में मुफ्त मानचित्र नहीं थे, तब समझ आया कि यहाँ कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता। होटल की दुकान से मानचित्र खरीदने की कोशिश की तो सेल्स गर्ल का मानचित्र दिखाने से पहले दाम बताने का, और बात करने का रवैया अच्छा नहीं लगा और फिर हमने एसे ही सबवे स्टेशन जाने की कोशिश की जो कि न्यूजर्सी में एक बड़ी गलती है। एक और दुकान में खैर मानचित्र खरीदा मगर अनुभव वही रहा। लगा कि न्यूजर्सी में लोग खुश हो के बात करना नहीं चाहते। खैर ये भ्रम भी बड़ी जल्दी टूट गया जब कुछ लोगों ने बड़े उत्साह के साथ पूछने पर रास्ता बताया। वैसे न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी पहुँचने से पहले मानचित्र ले लेना चाहिए, सस्ता भी पड़ता है।



सबवे स्टेशन पर मैं और मेरी पत्नी विनीता


सबवे स्टेशन पर मैं और मेरी बहन रूपल


खैर नेवार्क शहर के पेन्न स्टेशन से हमने पाथ ट्रेन पकड़ी और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (न्यू यॉर्क) पहुँचे। उस जगह पाथ का स्टेशन था और 9/11 हादसे का स्मारक भी। हादसे के कई सारे चित्र वहाँ लगे थे। वहाँ से हमने सबवे पकड़ी और टाइम्स स्क्वायर गए। सब वे में बैठना अपनेआप में एक अनुभव है। एक के उपर एक कई तलों पर कई दिशाओं में चलती हुई ट्रेनें आश्चर्यचकित करती हैं। खैर, टाइम्स स्क्वायर की भव्यता चकाचौंध करने वाली थी। बड़े बड़े चमकदार डिजिटल होर्डिंग, बेहतरीन कैफे, थियेटर, खूबसूरत पोशाकों में सजे हुए खूबसूरत लोग। वहाँ के शोरूम और कैफे दैखने लायक थे। बग्घी में बैठने की इच्छा थी, मगर बारिश होने वाली थी। खैर एक बेहतरीन रेस्तरां (BOND 45) में बहुत महँगा और स्वादिष्ट खाना खाया, और बढ़िया कॉकटेल पी। रात को फिर सबवे से वापिस। यहाँ कार से चलना ठीक नहीं है, कई वन वे और भूल भलैया रास्तों में खोने से बेहतर है सस्ती सबवे में निश्चिंत घूमना।



टाइम्स स्कवायर में मेरी बहन रूपल

सबेरे नेवार्क में नेवार्क एवेन्यू गए, जो कि देसी इलाका है। एक बढ़िया मीठा पान खाया और दो तीन बार चाय पी। पकौड़ों और बटाटे बड़े से पेट भरा। घर के लिए सस्ते देसी सामान खरीदे। नेवार्क भी काफी बड़ा और व्यस्त शहर है और वहाँ घूमना भी अच्छा लगा। समय कम था अन्यथा लिबर्टी पार्क भी जाते। शाम साढ़े पाँच बजे निकल कर ब्लैक्सबर्ग पहुँचे रात साढ़े बारह बजे। चित्र संलग्न हैं।

अनुराग

Friday, January 05, 2007

ह्रि्तिक बनाम सुरेश

आज IBNLIVE पे ये दो खबरें एक साथ देखीं। एक ह्रि्तिक की और एक और सुरेश की।

ह्रि्तिक और सुरेश में मात्र इतनी समानता है कि दोनो भारत के एक ही क्षेत्र, विदर्भ से हैं।अब असमानताएँ। ह्रि्तिक को तीन फिल्मों में काम करने के मिल रहे हैं ३५ करोड़, और १० साल के सुरेश के किसान पिता ने ५० हज़ार के कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। हि्तिक अब सबसे ज्यादा पैसा लेने वाले हिन्दी सिनेमा के कलाकार हैं। सुरेश के पिता उन ४१० लोगो में हैं जिन्होने आदरणीय प्रधानमंत्री की विदर्भयात्रा और आश्वासन के बाद आत्महत्या की। सुरेश पढ़ाई छोड़ कर अब खेती करता है, और उम्मीद कर रहा है कि सरकार की तरफ से आत्महत्या कर चुकने वाले किसानों के परिवारों को जो १ लाख रुपए मुआवज़े का वादा है, वो मिल जाए। सुरेश के पिता की आत्महत्या, पिछले कुछ घंटों मे हुई कई आत्महत्याओं में से एक थी।

ये है भारत का ताज़ा छायाचित्र। असमान प्रगति।

मगर यहीं रुकने की आवश्यकता नहीं है। विदर्भ में मरने वालों की संख्या कुल मिला के हज़ार से ऊपर ही है, ये ४१० का नंबर आदरणीय प्रधानमंत्री जी की विदर्भयात्रा के बाद का है। यही हाल उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड का भी है। कष्टदायक बात ये कि सरकार की तरफ से किसानों को मिलने वाली मुआवज़े की रकम होती है, २ रू, ५ रू, १२ रू, जिनको बैंक में जमा कराने के लिए ५०० रू का अकाउंट खोलना पड़ता है।

देखतें हैं कितनी और आत्महत्याओं के बाद बहुत बड़े अर्थशास्त्री हमारे प्रधानमंत्री की आँखें खुलती हैं। राज्य सरकार से तो खैर उम्मीद ही कुछ नहीं है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को फिल्मी पार्टियों से ही फुर्सत नहीं है।

प्रयास करूँगा कि इस बार अपने रेडियो कार्यक्रम में इस पर चर्चा कर सकूँ, और किसी विश्वसयनीय स्रोत से कुछ छोटी मदद कर सकूँ जोकि भारत सरकार के दो रुपए से ज्यादा ही होंगे।

अनुराग

Tuesday, January 02, 2007

नए साल की शर्मनाक शुरुआत

बहुत दिन पहले मैंने हम हिन्दुस्तानियों के विनय और आत्मसम्मान की कमी के बारे में चिट्ठा लिखा था। हर कुछ दिन बाद कुछ ना कुछ एसा होता है जो कि मेरी बातों को सच करता है। अब ये मुम्बई की ताज़ातरीन घटना देखिए। नये साल के स्वागत की पार्टी और शराब के नशे में धुत्त लोगों ने एक महिला के लाथ अभद्र व्यवहार किया। कारण कभी क्षणिक उत्तेजना या किसी महिला के भड़काऊ वस्त्र नहीं होते, बल्कि कारण समाज, कानून और महिलाओं के प्रति घटिया और छोटा नज़रिया होना होता है।

जिनमें आशावादिता अब भी है, "उनको नया साल मुबारक हो।"

अनुराग