जनवरी 27 के कार्यक्रम के बारे में जल्दी कुछ नहीं लिख सका, इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ। सबसे पहले तरुन जी को कार्यक्रम रिकार्ड करने का शुक्रिया, ये शुक्रिया खास इसलिए भी कि मेरे द्वारा जो दो जगह रिकार्डिंग की कोशिश थी, बेकार हो गई। |
Tuesday, January 30, 2007
रेडियो कार्यक्रम, मेरा अनुभव, भविष्य की योजनाएँ
Sunday, January 21, 2007
जनवरी 27 रेडियो पर हिन्दी चिट्ठाकारी
जनवरी 27 को अपने रेडियो कार्यक्रम में मैं हिन्दी चिट्ठाकारी पर चर्चा करूँगा। यह कार्यक्रम यूएस में दोपहर 1 बजे और भारत में रात के 11:30 बजे सुना जा सकेगा। इन्टरनेट पर सुनने के लिए इस पते पर जाएँ http://www.wuvt.vt.edu/main.html और "Listen Online" पर चटका लगाएँ। फिर "Available Web Streams" में जैसा आपका कनेक्शन हो उस हिसाब से चटका लगाएँ। |
Wednesday, January 17, 2007
Sunday, January 14, 2007
हिन्दी वार्तालाप कक्षा
वर्जीनिया टेक में मैं एक स्वयंसेवक के रूप में एक हिन्दी वार्तालाप कक्षा अगले रविवार से प्रारंभ करने जा रहा हूँ। यह कक्षा हर रविवार करीब एक घंटे की होगी। इस कक्षा में पहले आधे घंटे में हिन्दी के बोलचाल के शब्दों के बारे में चर्चा होगी, तथा आखिरी के आधे घंटे में हिन्दी वर्णमाला, फिर हिन्दी के व्याकरण और धीरे धीरे हिन्दी लेखन की। हिन्दी में बातें करने के लिए कभी किसी फिल्म के हिस्से को देखेंगे, या कोई नया चिट्ठा पढ़ेंगे या किसी किताब का हिस्सा पढ़ेंगे। |
Friday, January 12, 2007
न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी की एक दिन की यात्रा
पिछले रविवार को एक दिन के लिए न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी की यात्रा पर जाना हुआ। ब्लैक्सबर्ग जैसे छोटे शहर में रह कर न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी जैसे बड़े शहर एक अलग ही अनुभव होते हैं। पहले आठ घंटे की कार यात्रा भारी लग रही थी, लेकिन अपनी पत्नी और बहन का साथ और रास्ते भर बकर बकर में रास्ता पता ही नहीं चला। हमारा पड़ाव मुख्यतः न्यू जर्सी था जहाँ हम शाम चार बजे कार से पहुँचे। होटल से हम पास के ट्रांज़िट स्टेशन कार से गए। कार से जाने का लिए सड़क मानचित्र एसी जगह पर बहुत ही ज़रुरी होता है। आश्चर्यजनक रुप से होटल में मुफ्त मानचित्र नहीं थे, तब समझ आया कि यहाँ कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता। होटल की दुकान से मानचित्र खरीदने की कोशिश की तो सेल्स गर्ल का मानचित्र दिखाने से पहले दाम बताने का, और बात करने का रवैया अच्छा नहीं लगा और फिर हमने एसे ही सबवे स्टेशन जाने की कोशिश की जो कि न्यूजर्सी में एक बड़ी गलती है। एक और दुकान में खैर मानचित्र खरीदा मगर अनुभव वही रहा। लगा कि न्यूजर्सी में लोग खुश हो के बात करना नहीं चाहते। खैर ये भ्रम भी बड़ी जल्दी टूट गया जब कुछ लोगों ने बड़े उत्साह के साथ पूछने पर रास्ता बताया। वैसे न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी पहुँचने से पहले मानचित्र ले लेना चाहिए, सस्ता भी पड़ता है। खैर नेवार्क शहर के पेन्न स्टेशन से हमने पाथ ट्रेन पकड़ी और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (न्यू यॉर्क) पहुँचे। उस जगह पाथ का स्टेशन था और 9/11 हादसे का स्मारक भी। हादसे के कई सारे चित्र वहाँ लगे थे। वहाँ से हमने सबवे पकड़ी और टाइम्स स्क्वायर गए। सब वे में बैठना अपनेआप में एक अनुभव है। एक के उपर एक कई तलों पर कई दिशाओं में चलती हुई ट्रेनें आश्चर्यचकित करती हैं। खैर, टाइम्स स्क्वायर की भव्यता चकाचौंध करने वाली थी। बड़े बड़े चमकदार डिजिटल होर्डिंग, बेहतरीन कैफे, थियेटर, खूबसूरत पोशाकों में सजे हुए खूबसूरत लोग। वहाँ के शोरूम और कैफे दैखने लायक थे। बग्घी में बैठने की इच्छा थी, मगर बारिश होने वाली थी। खैर एक बेहतरीन रेस्तरां (BOND 45) में बहुत महँगा और स्वादिष्ट खाना खाया, और बढ़िया कॉकटेल पी। रात को फिर सबवे से वापिस। यहाँ कार से चलना ठीक नहीं है, कई वन वे और भूल भलैया रास्तों में खोने से बेहतर है सस्ती सबवे में निश्चिंत घूमना। टाइम्स स्कवायर में मेरी बहन रूपल सबेरे नेवार्क में नेवार्क एवेन्यू गए, जो कि देसी इलाका है। एक बढ़िया मीठा पान खाया और दो तीन बार चाय पी। पकौड़ों और बटाटे बड़े से पेट भरा। घर के लिए सस्ते देसी सामान खरीदे। नेवार्क भी काफी बड़ा और व्यस्त शहर है और वहाँ घूमना भी अच्छा लगा। समय कम था अन्यथा लिबर्टी पार्क भी जाते। शाम साढ़े पाँच बजे निकल कर ब्लैक्सबर्ग पहुँचे रात साढ़े बारह बजे। चित्र संलग्न हैं। अनुराग |
Friday, January 05, 2007
ह्रि्तिक बनाम सुरेश
आज IBNLIVE पे ये दो खबरें एक साथ देखीं। एक ह्रि्तिक की और एक और सुरेश की। |
Tuesday, January 02, 2007
नए साल की शर्मनाक शुरुआत
बहुत दिन पहले मैंने हम हिन्दुस्तानियों के विनय और आत्मसम्मान की कमी के बारे में चिट्ठा लिखा था। हर कुछ दिन बाद कुछ ना कुछ एसा होता है जो कि मेरी बातों को सच करता है। अब ये मुम्बई की ताज़ातरीन घटना देखिए। नये साल के स्वागत की पार्टी और शराब के नशे में धुत्त लोगों ने एक महिला के लाथ अभद्र व्यवहार किया। कारण कभी क्षणिक उत्तेजना या किसी महिला के भड़काऊ वस्त्र नहीं होते, बल्कि कारण समाज, कानून और महिलाओं के प्रति घटिया और छोटा नज़रिया होना होता है। |